टी.वी. और सी.डी. व डी. वी. डी. का सदुपयोग कर हम अपने ज्ञान से वृद्धि कर सकते हैं । आज ये संचार साधन घर-घर उपलब्ध हैं और सस्ते मनोरंजन का पर्याय हैं । परंतु अमरीका की एक संस्था द्वारा किए गए सर्वक्षण के अनुसार (हैल्थ एंड न्यूट्रीशन पत्रिका सन् 1990 प्रकाशित) अब यह सिद्ध हो चुका है कि अत्यधिक टी.वी. और सी.डी. व डी. वी. डी. आदि देखने से अांखों और मस्तिष्क पर खराब प्रभाव पड़ता है । इससे ग्रीवा, पीठ और कमर के दर्द हो सकते है । विकसित देशों से टी.वी. को पहले मूर्ख बक्सा कहते थे और अब इसे भूखों का निर्माण करने वाला बक्सा कहा जाने लगा है । अत: केवल उपयोगी कार्यकर्मों और स्वस्थ मनोरंजन वाले धारावाहिकों को ही देखना चाहिए ।
टी.वी. से कम से कम पांच मीटर दूर बैठें, कमरे में रोशनी रखें तथा बीच-बीच में उठकर इधर-उधर घूमते रहें । भोजन करते समय टी.वी. नहीं देखे क्योंकि उत्तेजक, दुःखद और हिंसक दृश्यों का मन तथा शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है ।
अमरीकी सर्वेक्षण के अनुसार, बच्चों को एक घंटे से अधिक टी.वी. नहीं देखने देना चाहिए । नियमित रूप से अधिक लय तक टी.वी. देखने से बच्चों के स्वास्थ्य पर ही खराब असर नहीं पड़ता वरन् वे उसके इतने आदी हो जाते है कि माता-पिता के बिना रह सकते है मगर टी.वी. के बिना नहीं । वयस्क लोग टी.वी. देखने के आदी हो जाने पर घर के सदस्यों की समस्याओं में रुचि लेना बंद कर देते है । उन्हें खेल-कूद और सामाजिक कार्यों में भी रुचि नहीं रहती । इस प्रकार उनका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक विकास रुक जाता है । परिणाम स्वरूप वे बीमार और अशांत रहने लगते हैं ।