भारत से तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है और इसका मुख्य कारण तुलसी के बेशुमार गुण ही हैं । इस पौधे के प्रत्येक अंश – अर्थात् पत्ते, फूल, जड़, फल आदि का प्रयोग होता है ।
तुलसी एक अत्यन्त उपयोगी स्वास्थ्य-वर्द्धक पदार्थ है । इसके प्रयोग से ह्रदय, रक्त, पित्त, कफ, पेचिश, ज्वर, मेदे का दर्द आदि अनेक रोगों में लाभ होता है । प्रत्येक व्यक्ति को साधारण रूप में तुलसी की चाय का सेवन करना चाहिए ।
भिन्न रोगों में तुलसी का प्रयोग इस प्रकार करें –
विषम ज्वर-तुलसी के पत्तों का रस एक तोला से दो तोला तक लेकर उसमें डेढ़ माशे से तीन माशे तक काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से विषम ज्वर दूर हो जाता हैं ।
फेफड़ों के रोग
तुलसी के एक तोले पत्तों को लुगदी-सा बनाकर और आठ माशे देशी शक्कर मिलाकर खाने से सूखी खांसी और छाती की खरखराहट आदि लगभग सभी फेफङों के रोंगों में लाभ होता है । कफ के रोगों से तुलसी के रस में शहद मिलाकर चटाना चाहिए ।
वीर्य का पतला पड़ना
तुलसी के पत्तों की उपर्युक्त लुगदी नियमित रूप से खाने से शरीर का पतला वीर्य गाढ़ा हो जाता है ।
दाद – तुलसी के पत्तों का रस दाद पर मलने से दाद का सर्वनाश हो जाता है ।
सर्दी – जुकाम
पन्द्रह-बीस दिन तुलसी के पत्ते को पाव भर पानी से चार-छ: दाने काली मिर्च के साथ पकावें । जब आधा पानी रह जाय तो उतारकर रोगी को पिलावें । ऐसा करने से सर्दी-जुकाम दूर हो जाता है ।
सांप बिच्छु के विष में
काली तुलसी का रस मिलाकर आक्रान्त स्थान पर दो-तीन बार लगाने से साप और बिच्छु दोनों का विष उतर जाता है ।