
जल्दी सोना, जल्दी जागना
अमरीका और यूरोप के डॉक्टरों ने सैकङों रोगियों की जीवन-शैली का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि रात में जल्दी सोना एवं प्रातःकाल जल्दी जागकर नित्यकर्म से निवृत होना अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा दिला सकता है, विशेष रूप से पेट, आंतों और गुर्दे के रोगों से ।
हमारे देश में पुराने जमाने से ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मल-मूत्र त्यागकर योगाभ्यास, व्यायाम और संध्या आदि करने की अावश्यकता पर विशेष बल दिया जाता रहा है । अाज इसका महत्व विज्ञान द्वारा भी स्वीकार किया जा चुका है ।
प्रात: भ्रमण
सूर्योदय से पूर्व आकाश से जो ब्रह्मांडीय किरणें धरती पर आती हैं, उनमें विशेष जीवनी शक्ति होती है । इसके अतिरिक्त वायुमंडल में अोषजन (अॉक्सीजन) की मात्रा बढ़ जाती है । उस समय वाहनों आदि के बहुत कम संख्या से सङकों पर निकलने के कारण वायु प्रदूषण कम होता है अथवा नहीं होता । प्रातःकाल की वायु शीतल तथा स्फूर्ति उत्पन्न करने वाली होती है । वे सभी प्रातःकाल भ्रमण करने पर स्वास्थ्य में वृद्धि करते हैं ।
प्राचीन ऋषि-मुनि ब्रह्मावेला को अमृतवेला भी कहते थे, क्योंकि उस समय की शुद्ध-शीतल वायु और ब्रह्मांडीय किरणें हमारे तन-मन में नवजीवन का संचार करती हैं । यहां यह वैज्ञानिक तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि हमारा जीवन पूरी तरह शुद्ध वायु पर निर्भर करता है । हम नाक द्वारा जो वायु लेते और निकालते रहते हैं, उसी पर हमारे शरीर की सभी क्रियाएं निर्भर करती हैं । फेफङे वायु में से आँक्सीजन निकाल लेते हैं । इसी से हमारा रक्त शुद्ध होता है और अन्य क्रियाएं सम्पन्न होती हैं । कोई भी व्यक्ति अॉक्सीजन के बिना तीन मिनट से अधिक जीवित नहीं रह सकता । अतः शुद्ध वायु हमारे शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है ।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सबसे साल तरीका प्रातःकाल उठकर बाग-बागीचों में जाकर तेज कदमों से घूमना है । कम-से-कम तीन-चार मील नित्य घूमना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहता है । इसके अतिरिक्त व्यक्ति को अपनी शारीरिक सामथर्य के अनुसार व्यायाम, योगासन, प्राणायाम, खेल-कूद आदि में भी रुचि लेनी चाहिए । योगासन, प्राणायाम तथा ध्यान स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन के लिए सर्वोत्तम है।