कारण
आंतों में विजातीय तत्व उत्पन्न होने से दूषित वायु कंठ की ओर उठती है जिसके करण जी मिचलाने लगता है । यह रोग बासी भोजन खाने, रुचि के विरुद्ध पदार्थ ग्रहण करने, कुसमय पेय पदार्थ पीने तथा प्रदूषित वातावरण में देर तक रहने आदि के कारण हो जाता है ।
लक्षण
जी मिचलाना पर उलटी होने की आशंका रहती है । कईं बार उलटी हो भी जाती है । माथे यर पसीना आ जाता है। घबराहट तथा बैचेनी होती है। कभी – कभी रोगी के सिर में दर्द भी होने लगता है ।
उपचार
- गेहूं की भूसी 4 ग्राम, काली मिर्च के 4 दाने तथा दो लौंग – तीनों चीजें एक कप यानी में औटा – छानकर पी जाएं।
- गेहूं के कोंपल के रस में आधा नीबू निचोड़कर सेवन करें ।
jee michalaana va ultee ke kaaran, lakshan, aayurvedik evan ghareloo nuskhe? Due to dizziness and vomiting, symptoms, Ayurvedic and home remedies? जी मिचलाना व उल्टी के कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक एवं घरेलू नुस्खे?