कारण
जब कभी मस्तिष्क में रक्त की ठीक प्रकार से आपूर्ति नहीं हो पाती तो चक्कर आने लगते हैं। रक्तचाप निम्न होने की स्थिति में भी यह रोग हो जाता है । इसके अलावा अजीर्ण, खून की कमी, अधिक सहवास तथा मासिक धर्म की खराबी के कारण भी इस रोग की उत्पत्ति हो जाती है।
लक्षण
चक्कर आने की हालत अधिक देर तक नहीं रहती । कुछ देर के बाद चक्कर आना अपने आप बंद हो जाता है । इसमें आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है । चारों अोर की वस्तुएं घूमती – भी दिखाई देती हैं । चक्कर खाकर गिरने का भय रहता है । कई बार बेहोशी के लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं।
उपचार
मस्तक पर गेहूं के गीले आटे का पतला लेप लगाएं ।
- सूजी के हलवे में आठ-दस दाने बादाम डालकर प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करें ।
- गेहूं का आटा 40 ग्राम, लोंग 5 दाने, घी 20 ग्राम तथा बादाम 2 – इन सबको आधा किलो दूध में डालकर कड़ाही में पकाकर सेवन करे ।
- एक चम्मच गेहू के कोंपल का रस और तुलसी के चार पत्ते – दोनों वस्तुओं को अच्छी तरह घोटकर सुबह शाम – सेवन करे ।
- प्रतिदिन मक्का की रोटी के साथ 5 मुनक्के का सेवन करें ।
chakkar aana ke kaaran, lakshan, aayurvedik evan ghareloo nuskhe? Because of dizziness, symptoms, herbal and home remedies? चक्कर आना के कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक एवं घरेलू नुस्खे?