पुराने जमाने के लोगों को अपने शरीर तथा उसके अंगों की पुकार सुनने की कला आती थी परंतु आज हमें अपने शरीर पर उचित ध्यान देने के लिए समय ही नहीं मिलता या यूं कहिए कि हम उस ओर ध्यान देने का समय ही नहीं निकालना चाहते । वास्तव में, शरीर के अंग किसी प्रकार की पीङा होने पर हमें अपने उपचार के बारे में भी सलाह देते हैं । उस सलाह का पालन करके उस अंग की पीङा या रोग दूर किया जा सकता है ।
हम बच्चे थे उन दिनों । उनके पीठ-पीछे पिताजी की इन बातों को सुनकर खूब हंसे-भला पेट भी कोई बात करता है? लेकिन पिताजी ने बिना किसी दवा के पेट की सलाह के अनुसार कार्य किया । साथ में, दिन में दो बार त्रिफला चूर्ण और शहद का उपयोग किया । पंद्रह दिन में वह पूरी तरह स्वस्थ हो गए । यही नहीं, उन्हें बादी बवासीर की पुरानी शिकायत से भी छुटकारा मिल गया ।
इस घटना के बाद से मैंने भी पिताजी वाला प्रयोग शुरू कर दिया । पेट का दर्द हो या सिर अथवा कमर का, मैं एकांत से जाकर आराम से लेट जाता दूं और उस अंग विशेष से बाते करता दूं। थोङे से ध्यान के बाद वह मुझे ऐसी सलाह देता है जिसका पालन कर मैं रोग या दर्द से छुटकारा पा लेता है ।