प्याज एक बहुत ही साधारण-सी चीज है, किन्तु गुणों की दृष्टि से इसका विशेष महत्त्व है । आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार प्याज बल-वीर्य अग्नियर्द्धक, वातनाशक, स्निग्ध, कफकारक, रक्त-पित्तनाशक आदि गुणों से परिपूर्ण है ।
प्याज द्वारा अनेक उपद्रवों का उन्मूलन किया जा सकता है ।
वादी के दर्द, चोट, मोच, सूजन पर
प्याज के अर्क से सेंकें या लुगदी की पोटली बना गर्म तवे पर थोड़ा – थोड़ा घी डालकर सुहाता – सुहाता सेंकें ।
लू से बचावे
ऊपर का मरा छिलका अलग कर जेब में रखिए अथवा छोटे-छोटे बालकों को प्याज की माला पहनाइए ।
छोटे बच्चों की खांसी
हल्का गरम किया प्याज का रस दिन में 2-3 बार दें और उसी को सीने पर मल दें ।
सङे – गले घावों पर साम्रगी
10 तोला प्याज का रस, 10 तोला तिल्ली का तेल, नीम की गिरी 1 तोला, मोम 5 तोले।
सबसे पहले नीम की गिरी को चन्दन-सा बारीक पीस लें, फिर तेल को गरम कर प्याज-रस और गिरी मिला दें । एक दिन होने पर मोम मिलाकर नीचे उतार लें । थोड़े समय बाद यह ठण्डा होकर जम जाता है । किसी शीशी या चीनी-पात्र में रख लें । सड़े-गले घाव, फोड़े-फुंसी को आराम करने में उपयोगी है ।
अनिद्रा रोग
प्याज क रस पलकों, हथेलियों और पैरों के तलुओं पर लगाएं और मलें ।
इन्फ्लुएेंजा
रोगी को सिर्फ चाय पर रखें । खाने को कुछ न देकर सिर्फ एक चम्मच ताजे प्याज का रस दिन में 3 बार शहद ते सेवन कराएं । बच्चों को आधी मात्रा में दें । गर्भिणी को नहीं देना चाहिए ।
नकसीर रोग
प्याज का ताजा रस नाक के नथनों में टपकाएं और उसी की लुगदी माथे पर सुबह-शाम बांधे । गरम वादी खाने से परहेज रखें ।