प्रसव के बाद प्रसूता को प्रथम तीन दिन भोजन के पूर्व नीम की पती का रस पिलाते है । इससे दूध अधिक आता है और स्वास्थ्य सुधरने लगता है तथा प्रसूति जैसी प्राणघातक बीमारिया नहीं होती । नीम की हवा सब तरह के बुखारों को नष्ट करने में सहायक होती है । नीम की पत्ती उबाले हुए पानी से जखम को धोकर साफ करें । नीम की पत्ती पीसकर लेप करें। इससे हर तरह का जख्म अच्छा हो जाता है । नीम की पत्तियों की राख मीठे या करंजी के तेल में घोंटकर मलहम तैयार करें । इस मलहम से खुजली नष्ट होती है । सर्प डसे हुए व्यक्ति का नीम की पत्तियों का रस पिलाने से विष उतर जाता है । नीम की पत्तियों का रस मिश्री डालकर आठ दिन पीने से गर्मी की बीमारी जङ से नष्ट हो जाती है। पत्ती, फल, फूल, छाल और जङ का चूर्ण शक्कर मिलाकर हमेशा खाने से और शरीर में लगाने से गलित कुष्ट अच्छा होता है । जलन होने जाती सूजन पर पत्तियां पीसकर लेप करने से सुजन उतरकर जलन नष्ट होती है । नीम की अंतर छाल का रस शहद और सोंठ मिलाकर पीने से पीलिया नष्ट होता है । छाल का क्वाथ धनिया और सोंठ मिलाकर पीने से मलेरिया नष्ट होता है ।