उन लोगों के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी जो जान-बूझकर गर्म चाय के बाद ठंडा पानी पीते हैं अथवा टॉफी- चाकलेट या च्युइंगम रात-दिन
चूसते-चबाते रहते हैं और रात को भी मुंह में पान या तम्बाकू रखकर ही सो जाते हैं। जो बच्चे बोतल की निप्पल मुंह में रखकर ही पलकें मूंदते हैं, उनके दांतों को कीड़े लगना स्वाभाविक है । अगर दांतों को बचाने की इच्छा हो तो सबसे पहले यह नियम बनाएं कि कितनी भी स्वादिष्ट वस्तु खाई हो, उसके पांच मिनट बाद कुल्ला अवश्य कर, उंगली से दांतों के आगे-पीछे से खाद्य – कण निकाल दें और एकाध गरारा भी कर डालें । यदि असावधानी से दांतों में कष्ट हो भी जाए तो निम्रानुसार उपचार करें-
दांतों में कीङा
रोज ताजा आंवला चबाएं। ताजा आंवले का मौसम न हो तो सूखे आंवले के दो चार छिलके रात को भिगो दें और वही सुबह चबाएं।
दांत उगने में बच्चे को दस्त
आंखें आ जाएं और बच्चा सुस्त दिखाई दे । उसके मसूङों पर आंवले का रस मलें। आंवले का छिलका, बेलगिरी की भींगी और कत्था पीसकर चूर्ण बना लें और डेढ़ – दो माशा बच्चे को पानी के साथ दें ।
पायरिया
मसूड़े फूल जाएं और खाना – पीना हराम होने लगे तो आंवले के रस में सरसों का तेल मिलाकर मसूडों पर हल्के – हल्के दबाव से रगड़े। पंद्रह दिनों में पुराने – से – पुराना पायरिया जाता रहेगा।
दांत हिलना
आंवले उबाल लें और उसी के सुहाते गर्म पानी से कुल्ला करके तुरन्त ताजा – ठंडे पानी से कुल्ला करें। सर्द – गर्म कुल्ला पांच बार करें।
- दिन में ताजा आंवला दांतों से काटकर चबाएं । दो-तीन दिनों में ही दांत अपनी जगह पर जम जाएंगे। आंवले में मौजूद विटामिन सी हिलते दांतों को अपनी जगह टिका देता है।
मैले दांत
आंवले के रस का कोई सानी नहीं है – दांतों को चमक देने में। इसका कसैला तत्व स्वच्छता के साथ पुषि्ट भी देता है।
कारण व लक्षण
दांतों में दर्द होना, दांतों का हिलना, मसूडों से खून आना, ठंडा व गरम पानी दांतों में लगना, दांतों – मसूडों के रोगों के प्रमुख लक्षण हैं। इनके प्रति लापरवाही ही इनका प्रमुख कारण है। सर्द-गरम का इकट्ठा प्रयोग, दांतों की सही सफाई न करना, मसूडों की मालिश न करना आदि भी इसके कारण हैं। बच्चों पर हुए अनुसंधानों ने पुष्टि की है कि चॉकलेट, टाँफियों के बढ़ते प्रयोग से भी बच्चों के दांत रोगग्रस्त होते हैं।