चना शरीर को बल देने में गंदम के बाद दूसरे नम्बर पर है । इसकी रोटी पकाकर खाई जाती है । घरों में इसकी दाल भी पकती है । इसकी दाल को पीसकर बेसन बनाते है जिससे भिन्न-भिन्न प्रकार के मजेदार भोजन तैयार किये जाते हैं । यह केवल शरीर को शक्ति ही नहीं देता बल्कि औषधि के रूप में भी इसके अनेक लाभ हैं । यदि एक-दो तोले चनों को रात के समय दो-तीन छटांक पानी से भिगो रखें और प्रात: को खुब चबा-चबाकर खाएं और ऊपर से वह पानी जिसमें चने भिगोए गये थे, मधु मिलाकर पिएं तो इससे शरीर में टृढ़ता आएगी तथा दर्द आदि का भय जाता रहेगा ।
चने की दाल का आटा (बेसन) पानी में भिगो रखें और दिन से कई बार पिलाएं । इससे पेशाब की जलन दूर हो जायेगी और यदि ‘सुजाक’ की शिकायत हो तो इसके प्रयोग से पेशाब की नाली साफ होकर रोग को खत्म करने में सहायता देगी ।
चने की दाल का छिलका पानी मेँ भिगो रखें । प्रात: पानी छानकर पिएं । इससे पेशाब खूब खुलकर आता है ।
चने के बेसन से हल्दी और सरसों का तेल और आवश्यकता के अनुसार पानी मिलाकर चेहरे और शरीर पर लगाने से त्वचा का रंग निखर जाता है और उसमें आकर्षण उत्पन्न हो जाता है ।