सन्तरा एक ऐसा फल हैं, जिसमें पाये जाने वाले भिन्न तत्व अत्यंत गुणकारी एवं उच्चकोटि के होते हैं। जब हम इसका सेवन करते हैं तो इसके तत्व हमारे शरीर में पहुंचकर खून और तंतुओं को क्षारमयी बना देते हैं । इससे विजातीय द्रव्य शरीर से बाहर निकल जाते हैं । पाचन क्रिया तथा अंतङियों पर इसका तीव्र प्रभाव स्वास्थ्य के लिये वरदान हैं ।
सन्तरा विटामिन्स का खजाना है । इसमें चार प्रकार के विटामिन-ए, बी, सी, डी-पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं । विटामिन ‘डी’ की इसमें सबसे अधिक मात्रा होती है । इनके अतिरिक्त सन्तरे में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाईड्रेट्स, लोह आदि अनेक महत्त्वपूर्ण रासायनिक तत्व भी पाये जाते हैं । गत दिनों वैज्ञानिक खोज से यह ज्ञात हुआ है कि इसमें विटामिन ‘जी’ की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है ।
भिन्न रोगों में संतरे द्वारा उपचार
संतरा केवल एक पौष्टिक एवं स्वादिष्ट फल ही नहीं है बल्कि भिन्न रोगों में इसके सेवन से बहुत लाभ होता है । जो व्यक्ति जिगर के रोग, वातरोग, अपच, वमन, अनिद्रा, हिस्टीरिया, पुरानी खांसी, दंत-रोग, पत्थरी, मुटापा-आदि किसी भी रोग से पीङित हैं, उन्हें सन्तरे का सेवन करना चाहिए । क्योंकि विटामिन शरीर में स्थिर नहीं रहते एवं किसी भी कारण से इनका अभाव हो सकता है, इसलिए संतरे का सेवन करते रहने से अभाव की पूर्ति सम्भव है ।
विटामिन ‘सी’ शारीरिक स्वस्थता के लिये एक अनिवार्य तत्व है-विशेषतः बच्चों के लिये, जबकि वे अभी शारीरिक रूप से विकसित हो रहे होते हैं – और यदि शरीर मेँ इसका अभाव हो जाये तो कई तरह के विकार उत्पन्न हो जाते हैं । इसलिये संतरे का सेवन करना चाहिए ताकि इसके द्वारा विटामिन ‘सी’ का अभाव पूर्ण हो सके । बच्चों को संतरे का सेवन कराना अत्यधिक लाभप्रद होता है ।