अब प्रश्न उत्पन्न होता है कि हम कितनी देर विश्राम करें ?
पहली अवस्था में दो मुख्य बातें सदैव ध्यान में रखनी चाहिए । जब अत्यधिक शारीरिक या मानसिक परिश्रम के कारण आप थकान अनुभव करें तो एकान्त में थोङी देर के लिए अपने शरीर को ढीला छोड़कर तथा मस्तिष्क को किसी भी तरह के विचार से मुक्त करके लेट जाये । दस-बारह मिनट के लिए यदि ऐसा कर सकें तो पर्याप्त होगा ।
दूसरी बात यह कि दोपहर का भोजन लेने के पश्चात् आधे घण्टे के लिए विश्राम कर लें, किंतु सोना नहीं चाहिए । केवल गर्मी के मौसम में कुछ नींद ली जा सकती है । सर्दी के मौसम में सोने से मन भारी-सा हो जाता है । तथा तबीयत बेचैन सी महसूस होने लगती हैं । दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि हम सुस्त पङ जाते हैं ।
रात्रि के समय कितनी देर नींद लेनी चाहिए, अब हम इस विष पर विचार करते हैं ।
इस सम्बन्ध में सभी के लिए एक जैसी बात नहीं कही जा सकती, क्योंकि भिन्न व्यक्तियों को, एक-दूसरे की अपेक्षा, कम या ज्यादा देर तक नींद लेने की आवश्यकता होती है । एक ऐसा व्यक्ति जो दिन-भर कठोर शारीरिक परिश्रम करता है, यदि रात्रि के समय थोङी नींद लेगा तो निश्चय ही उसके स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव होगा । आमतौर से कहा जा सकता है कि जो लोग दिन-भर शारीरिक परिश्रम करते हैं, उन्हें कम-से-कम आठ एवं अधिक-से-अधिक दस घण्टे नींद लेनी चाहिए ।
जो लोग किसी प्रकार का शारीरिक परिश्रम नहीं करते बल्कि साधारण काम ही करते हैं, उन्हें अधिक-से-अधिक आठ घण्टे सोना चाहिए । इसी प्रकार मानसिक कार्य करने वाले व्यक्ति को भी आठ घण्टे से अधिक नहीं सोना चाहिए । यहां यह बात तो निश्चित एवं अन्तिम रूप से कही जा सकती है कि प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह शारीरिक परिश्रम करता है अथवा मानसिक, कम-से-कम छ: घण्टे अवश्य नींद लेनी चाहिए ।
स्वाभाविक रूप से वृद्धावस्था में वैसे ही नींद कम आती है । इसके विपरीत नन्हें बच्चे काफी अधिक समय तक सोते रहते हैं । इनके सम्बन्ध में किसी प्रकार का नियम लागू नहीँ होता ।
कई बार किन्हीं विशेष परिस्थितियों के कारण किसी व्यक्ति को अधिक देर तक जागना पड़ता है । अपनी परिस्थितियों के अनुसार यदि वह आठ घण्टे प्रतिदिन नींद लेता है किन्तु किसी दिन यदि वह सिर्फ चार घण्टे ही सो सका हो तो अगले दिन वैस से वह कुछ देर अधिक नीद लेगा-और वह आवश्यक भी है अन्यथा स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पडेगा ।