यह जानकारी प्राप्त करना भी अत्यधिक आवश्यक एवं रुचिकर है कि आयोडीन हमारे शरीर को कहां से एवं किन उपायों से उपलब्ध होती है । समुद्र-तट के समीप एक विशेष प्रकार की घास अथवा काई होती है । गर्मी के कारण जब यह गल-सड़ जाती है तो इसमें से आयोडीन की उत्पत्ति होती है तथा यह हवा एव पानी के साथ मिल जाती है । हवा तथा पानी द्वारा ही यह भिन्न प्रकार की वनस्पतियों एवं मानव – शरीर में प्रविष्ट हो जाती है । हमारा शरीर इस आयोडीन को हवा-पानी एवं खाद्य-पदार्थों द्वारा ग्रहण करता है तथा ‘थायरायह ग्लैण्ड’ इसे सारे शरीर में पहुंचा देता है ।
प्राय: सभी ताजा तरकारियों के ऊपरी भाग में आयोडीन पाई जाती है । यहीं कारण है कि तरकारिंया बिना पकाये तथा कच्ची ही खाने का परामर्श दिया जाता है । ताकि आयोडीन एवं अन्य तत्व शरीर में पहुंच सकें । उबाली, तली एवं पकाई गई तरकारियों में इनमें से अधिकांश तत्व नष्ट ही जाते है ।