हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी है । सम्भव है कि आपको आश्चर्य हो, किन्तु यह सत्य है कि इतना अधिक पानी हमारे शरीर में रहता है । तब आप यह प्रश्न पूछ सकते हैं कि आखिर इतने पानी की हमारे शरीर को क्या आवश्यकता है ?
जी हाॅं, हमारे शरीर को वास्तव में इतने ही पानी की आवश्यकता है, क्योंकि –
- पानी शरीर की सफाई करता है – अर्थात् जो पानी हम पीते हैं अथवा अन्य किसी भी साधन से ग्रहण करते है, तो यह पसीने तथा मूत्र द्वारा शरीर की गंदगी को बाहर निकाल देता है ।
- जो आहार हम ग्रहण करते है, वह पानी की सहायता से ही पलता है ।
- पानी रक्त में मिलकर इसे पतला बनाता है ताकि शरीर में रक्त-संचार की क्रिया समुचित ढंग से हो सके और रक्त शरीर के सभी भागों में पहुंचकर भिन्न-भिन्न अंगों को उनका भोजन दे सके । इसके विपरीत पानी की कमी के कारण यदि रक्त गाढा बन जाये तो स्वाभाविक रूप से रक्त-संचार की शारीरिक क्रिया में बाधा उत्पत्र हो जायेगी और इसके भयानक परिणाम निकलेंगे । यहीं कारण है कि प्रकृति ने रक्त में 90 प्रतिशत पानी की व्यवस्था की है ।
- मेदा, जिगर और गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण शारिरिक अंग पानी की सहायता से ही अपनी क्रियाओं का सम्पादन करने के योग्य हो पाते हैं ।
- पानी शरीर की सामान्य हरारत (ताप) को बढ़ने से रोकता है ।
- पानी द्वारा जब शरीर के भीतर की सफाई होती है तो बाहरी त्वचा निखर उठती हैं, जिससे सोन्दर्य में वृद्धि होती है ।
- पानी एक औषधि भी है, जिससे प्रकृति भीतर-ही-भीतर भिन्न प्रकार के रोगों की चिकित्सा करती है ।
स्पष्ट है कि पानी हमारे शरीर की स्वस्थता की एवं ताकत का संरक्षक है । तभी तो संभवतः, पानी को ‘अमृत’ और ‘जीवन’ कहा गया है। प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है कि पानी में अमृत हैं, पानी में सभी रोगों का उपचार है और पानी ही जीवन की सांसें है ।